झाड़ ऊँचे और नीचे चुप खड़े हैं आँख भींचे…
गांधी दर्शन को जीने वाले भवानी प्रसाद मिश्र आपातकाल में विरोध में खड़े हुए थे और प्रतिदिन नियम पूर्वक सुबह, दोपहर और शाम तीनों समय प्रतिरोध की कविताएं लिखा करते थे।
झाड़ ऊँचे और नीचे चुप खड़े हैं आँख भींचे… जारी >