literature

कोई कभी वापस लौटता नहीं, सो लौटने का मार्ग ही न बनाया

सतत इवॉल्यूशन प्रकृति के पहिए का ही एक नाम है,इसे उल्टा नहीं किया जा सकता। खलील जिब्रान इसी सत्य को अपनी कविता ‘ फियर’ में नदी के भय के माध्यम से समझाते हैं।

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किए जो वादे मैंने, याद मुझे आ जाते हैं

बीसवीं सदी के महान अमेरिकी कवि फ्रॉस्ट महान जीवन मूल्यों वाले लेखक थे। यूं तो लेखन के लिए कई सम्मान मिले लेकिन उनकी काव्‍य की ताकत को इसी बात से समझा जा सकता है कि सिर्फ कविता लेखन के लिए ही फ्रॉस्ट को चार बार पुलित्सर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी…

दुष्यंत कुमार की यह रचना बहुत प्रभावित करती है क्योंकि यह उस युग में भी सामयिक थी और आज भी सामयिक है। यह कविता संघर्ष करते रहने की प्रेरणा देती है।

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मार्था मेडरिओस की वह कविता जिसे अक्‍सर पाब्लो नेरुदा की कविता बताया गया

मार्था मेडरिओस की यह कविता हमें प्रेरित करती है कि हम अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश करें बजाय कि एक प्रेरणा से रहित जिंदगी बिताने के।

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तुम्हारे बच्चे तुम्हारे नहीं हैं…

पुस्तक “द प्रोफेट” के लिए सबसे ज्‍यादा मशहूर हुए खलील जिब्रान को लोकप्रियता के कारण शेक्सपियर और लाओ त्सू के बाद विश्व इतिहास में तीसरा सबसे ज्‍यादा बिकने वाला कवि माना जाता है।

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वे कौन हैं जो सहते हैं, झेलते हैं? नहीं जानता, लेकिन वे मेरे लोग हैं

पाब्लो नेरूदा को 1971 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्‍होंने एक साक्षात्‍कार में कहा था, लिखना मेरे लिए सांस लेने जैसा है।

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सहज प्रवृति है: प्रतीक्षा करते रहना,मांग करते रहना सामर्थ्य से अधिक

विश्‍व कविता दिवस: तिब्बत के महान योगी, संत और कवि मिलारेपा की लगभग एक हजार रचनाएँ ‘मिलोरेपा के सहस्र गीत’ के नाम से प्रसिद्ध हैं, जिनमें संसार की नश्वरता का बोध प्रमुख है।

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भला एक शाइर किताबें जलाने की बात कैसे कर सकता है?

हमारी रवायत में हर अंधेरे को मिटाने के लिए एक दीप जलाने की सीख दी गई है। हम हर काविश से पहले चिराग़ रोशन करते हैं तो क्‍या क़िताबों को जलाया जाना चाहिए?

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प्यार के एहसास को ओढ़ना, सलीके से गुजरना

आख़िर तुम्हें गुजरना तो ज़िंदगी की तेज हवाओं के बीच से ही है! ये हवाओं के चिराग़ तुम्हारे पैरहन को जला सकते हैं, तुम्हें बेलिबास कर सकते हैं। तुम नशे में लड़खड़ाओगे ज़रूर और अपने आप को ख़त्म कर लोगे।

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इश्‍क रूहानी: क्‍यों मैंने ताजमहल नहीं देखा…

मैं अक्‍सर जिद किया करता था, मुझे आगरा जाना है। समझाइश मिलती, छुट्टियों में जाएंगे। कई छुट्टियां आईं और गईं। मैं कई जगह गया। मगर राह में आगरा आया ही नहीं।

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