कोई कभी वापस लौटता नहीं, सो लौटने का मार्ग ही न बनाया
सतत इवॉल्यूशन प्रकृति के पहिए का ही एक नाम है,इसे उल्टा नहीं किया जा सकता। खलील जिब्रान इसी सत्य को अपनी कविता ‘ फियर’ में नदी के भय के माध्यम से समझाते हैं।
कोई कभी वापस लौटता नहीं, सो लौटने का मार्ग ही न बनाया जारी >