फेंके हुए सिक्कों में से उनके हाथ 22 पैसे लगे…
मेरे लिए प्रथम पंक्ति में बैठ कर फिल्म देखने का यह पहला मौका था। जब ‘कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को’ गाना चालू हुआ तब सिक्कों की बरसात शुरू हुई।
मेरे लिए प्रथम पंक्ति में बैठ कर फिल्म देखने का यह पहला मौका था। जब ‘कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को’ गाना चालू हुआ तब सिक्कों की बरसात शुरू हुई।
क्रिकेट मैच के आंखों देखा हाल सुनने का भूत लड़कों के सिर चढ़ कर बोलता था। हर काल-खंड के बाद जब मास्साब की अदला-बदली होती ट्रांजिस्टर की आवाज बढ़ जाती।
जीवन बहुत सरल था। सुबह उठो और नर्मदा जी में नहा के आओ, तैरो और पल्ले पार तक तैर के आओ। नर्मदा जी में हर तरह की मछलियां और पानी के जीव शरण पाते, और लोगों का भोजन बनते।
अशफ़ाक की मधुर आवाज गूंजती, “आरती का समय हो गया है। सभी बहनों, भाइयों, माताओं, बच्चों से से निवेदन है कि वो गणपति/मां दुर्गा के पास आएं और आशीर्वाद पाएं।”
यह अद्भुत कस्बा पूरी तरह नर्मदा माई का बच्चा था। सारे तीज-त्यौहार, उत्सव, मेले, माई के बिना अधूरे रहते। निवासियों की दिनचर्या भी पूरी तरह माई पर निर्भर थी।