गोल-गोल रानी,इत्ता-इत्ता पानी, उजाले के खेल की कहानी

बचपन से ही इस खेल को बूझने की तमन्ना थी जिसके बोल हैं-गोल-गोल रानी,इत्ता-इत्ता पानी। आइए आज इस खेल की कहानी को समझते हैं। शरद पूर्णिमा की रात समझते हैं कि गोल का आखिर चक्कर क्या है!

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सबसे जरूरी थी ऐसी घड़ियों की मौत …

ऐसी घड़ियों की मौत सबसे जरूरी थी जिनके बूते चला करती थी घरों की शांत और संतोषप्रद जिंदगी। संस्कृति-समाज-घर के ताने-बाने के टूटने के लिए बस एक घड़ी के लुप्त होने की जरूरत होती है।

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चलो आज प्रेम की बातें करते हैं…

शून्यता दरअसल बासीपन और ताजगी के बीच बनी हुई एक लकीर है जिसका आकार अधिक बड़ा करने की जरूरत है। यह जगह अपने आप में बड़ी डायनामिक है। यह परमानंद का ठिकाना है।

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