एक कप चाय? … हो जाए…
दाम के हिसाब से महंगी चाय दुनिया के किसी भी कोने में मिले, हमारे लिए तो सबसे खास, सबसे कीमती चाय वह है जिसे पीने के अरमान बने रहें और मौका मिलते ही हम कह उठें, चलो चाय पीते हैं।
दाम के हिसाब से महंगी चाय दुनिया के किसी भी कोने में मिले, हमारे लिए तो सबसे खास, सबसे कीमती चाय वह है जिसे पीने के अरमान बने रहें और मौका मिलते ही हम कह उठें, चलो चाय पीते हैं।
जीवन में मुझे अपने भाई का स्थान देने वाली वह बहन, अस्पताल में पड़ा वह नौजवान, जिसके मन में मृत्युशय्या पर भी मेरी पुस्तक पढ़ने की याद जगती है; बस में मिलने वाला वह किसान, जिसे इस बात पर हँसी आ जाती है कि मैं इतनी अच्छी किताब, लिख कैसे लेता हूं, जिसे पढ़कर उसकी स्त्री और लड़की दोनों खुश हों तथा किराये की साइकिल की दुकान चलाने वाला वह गरीब लड़का, जो मुझसे इसलिए अपनी साइकिल का किराया नहीं लेना चाहता कि मैं उसका प्रिय लेखक हूं- क्या इन सबका यह असीम स्नेह; मेरी पुस्तक की पर्याप्त रायल्टी नहीं है?
मैं क्यों लिखता हूं? शायद इसलिए कि… जारी >
मैं ‘बुरी’ मां हूं क्योंकि मैं रोबोट की तरह व्यवहार नहीं कर सकती। मुझे भी गुस्सा आता है, मुझे भी रोना आता है, मैं फिल्मों और टीवी और फिल्मों में नजर आने वाली मां की तरह मां नहीं हूं।
मैं एक ‘बुरी’ मां हूं और मुझे इसका कोई पछतावा नहीं जारी >
इस तरह/ मरने के बाद भी/ मेरे लिए/ तीन दिन और जिंदा रहीं मां…
मां की मौत पर नहीं रोया… जारी >
आज दुनिया भर मातृ दिवस यानी मदर्स डे मना रही है। मां के नाम रखे गए इस खास दिन कुछ तस्वीरों में मां की झलक।
मांं की जगह कोई हो नहीं सकता जारी >
मदर्स डे पर मां का फोटो देख कर मुझे बस एक बात ही याद आई.. बाई तू आज वेती तो (मां तू आज होती तो) …
यादों का कारवां: बाई आज तू वेती तो… जारी >
क्या मां की ममता, करुणा, त्याग का मोल मात्र एक दिवसीय शुभकामनाएं हो सकती हैं? क्या हमें साल में एक दिन के महिमा-मंडन से खुश-संतुष्ट हो सालभर उस यशगान की धुन गाते-गुनगुनाते अपनी सभी परेशानियां ताक पर रख देनी चाहिए?
मां… कुछ फिक्र अपनी भी कर लें जारी >
मानव संबंध तो जटिल होते ही हैं पर जितनी जटिलता मां, बेटे और बहू के संबंध में अभिव्यक्त होती है, वह तो अद्भुत और असाधारण होती है! उसकी कोई तुलना ही नहीं!
रिश्तों की सियासत में उलझा मां का दुलारा जारी >
पद्मश्री डॉ. सुरजीत पातर जिन्हें पंजाब के युग कवि पुकारा गया और जिन्हें शब्दों का समर्थ कवि की संज्ञा दी गई। उनकी कविताएं भले ही पंजाबी में लिखी गईं लेकिन उनमें सारे जहान की अनुभूति समाहित है और इसी कारण कविताएं अनुवाद के रूप में पंजाब, भारत का दायरा लांघ कर पूरे विश्व में पहुंची हैं।
दाड़ी पगड़ी वाला कवि जो जादूगर समझा गया… सच में जादूगर था जारी >
विगत दिनों एक ऐसी पेंटिंग या कहूं चित्रकृति पर नजर ठिठक गईं जिसमें प्रदर्शित कम हो रहा था मगर जो छुपे हुए अर्थ वह पेंटिंग बताना चाह रही थी उसकी आवाज मुझ तक जाने कैसे पहुंच गई कह नहीं सकता। इस आवाज को आप भी सुनें।
बोलते संगीत वाद्यों का चित्रकार नागनाथ मानकेश्वर जारी >