पानी भर कर छागल को खिड़की के बाहर लटकाया…
दो खिड़की। एक पापा के लिए आरक्षित। दूसरी के छह दावेदार। यात्रा की शुरुआत ही युद्ध से होना तय था।
पानी भर कर छागल को खिड़की के बाहर लटकाया… जारी >
दो खिड़की। एक पापा के लिए आरक्षित। दूसरी के छह दावेदार। यात्रा की शुरुआत ही युद्ध से होना तय था।
पानी भर कर छागल को खिड़की के बाहर लटकाया… जारी >
प्लास्टिक की घास और केमिकल पेंट की महक वाले नकली छोटे मैदानों में न खेल असली हो पाता है और न ही भावनाएं।
जीवन के सबसे असली रंग की जगह का नकलीपन अखरता नहीं है आपको? जारी >
अक्सर लगता है वह मदद मांग रहा है, 10-20 रुपए देने से क्या होगा और थोड़ी ज्यादा रकम उसके हवाले कर कसम खाता हूं कि अगली बार धोखा नहीं खाऊंगा।
पन्ना में, मैं अपनी उम्र के दस बरस तक रहा पर उसकी यादें आज भी अमिट हैं। पन्ना का पन्ना समेटने से पहले उन्हें याद करना लाजमी है।
एक बैरियर बनाओ और आने-जाने वालों से टैक्स वसूलो जारी >
पन्ना की जो खासियत मुझे सबसे ज्यादा आकर्षित करती थी,वो था प्राणनाथ मंदिर का गजर। गजर हर घंटे अपनी टंकार से पन्नावासियों को समय बताता, और हर प्रहर के बदलने की जानकारी भी देता।
हम लखपति होते-होते बाल-बाल बचे… जारी >
पापा के ऑफिस की जो चीज मुझे सबसे ज्यादा आकर्षित करती वो था हाथ से खींचे जाने वाला पंखा। मेरा दूसरा प्यार था पापा को मिली जीप। मैं हमेशा इस गुंताड़े में रहता कि कैसे इसे चलाएं!
लगता था ड्राइवर से अच्छी जिंदगी किसी की नहीं… जारी >
सो बचपन में उस वक्त तक मैंने अपने दो गुणो और दक्षताओं (skills and competencies) को साबित कर दिया था। वालेंटियर होना और डेयरिंग होना जो एक डेवलपमेंट वर्कर की एसेंशियल क्वालिफिकेशंस है।
आखिर मैं साबित कर पाया कि ‘मर्द को दर्द नहीं होता’ जारी >
जेन में कहते हैं कि जब विद्यार्थी तैयार होता है, तब गुरु प्रकट हो जाता है; और जब विद्यार्थी पूरी तरह तैयार हो जाता है, तब गुरु गायब हो जाता है।
असल गुरु प्रेम है, जो कान उमेठता है, शाबाशी भी देता है जारी >
हमारे देश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा का एक क्रूर रूप है महिलाओं का लापता हो जाना। अफसोस की बात है ये महिलाओं और किशोरियों की आर्थिक स्थिति, शैक्षिक स्थिति, सामाजिक और यहां तक कि राजनीतिक स्थिति से भी जुड़ी है।
कहां गई होगी, क्यों गई होगी, उसका क्या हुआ होगा? जारी >
आश्चर्य की बात थी कि सेकंड एसी कोच में जीआरपी का कोई जवान नहीं था और पास के अन्य कोच में भी नहीं। जिन पर यात्रियों की जानमाल की हिफाज़त की जिम्मेदारी रहती है।
रेलयात्रा आपबीती: कसम खाई, ऐसी ट्रेन में सफर नहीं करेंगे जारी >