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‘एनिमल’ हो चुके समाज का मोस्ट वायलेंट यात्रा में स्वागत
फिल्म को मोस्ट वायलेंट फिल्म की तरह से प्रमोट करते हुए फिल्ममेकर एक तरह से नये जॉनर की घोषणा कर रहा है। सवाल है कि क्या फिल्म को मोस्ट वायलेंट कहते हुए प्रमोट करना ठीक है?
फिल्म को मोस्ट वायलेंट फिल्म की तरह से प्रमोट करते हुए फिल्ममेकर एक तरह से नये जॉनर की घोषणा कर रहा है। सवाल है कि क्या फिल्म को मोस्ट वायलेंट कहते हुए प्रमोट करना ठीक है?
दुनिया भर के श्रमिकों ने अथक परिश्रम से जो हक हासिल किए हैं। जो सुरक्षा हासिल की है उसे छीनने के जतन आज भी जारी हैं। विश्व श्रम दिवस इस लंबे संघर्ष से प्राप्त हुए हकों को याद रखने का दिन है।
शब्दों और तस्वीरों का मिला जुला रंग हमें खुद से, अपनी यादों से जोड़ता है। हमरंग में उसी शाम का रंग जो हमारी अपनी है। हमारी यादों वाली शाम। हमारे अहसासों वाली शाम।
किसी भी शहर को देखने का, उसे याद रखने का सबका एक अलग नजरिया होता है। यायावरी के जुनून को पंख देकर आज उड़ चली हूं मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में स्थिति दो प्रसिद्ध मंदिरों के प्रांगण में।
केंद्र सरकार ने तीन नये आपराधिक न्याय विधेयकों (जो अब कानून बन चुके हैं) को इस आधार पर उचित ठहराने की कोशिश की है कि मौजूदा कानून ‘औपनिवेशिक’ तो था ही, बदला गया कानून भारत विरोधी भी था। लेकिन तुलना करने पर पता चलता है कि नये कानून कहीं ज्यादा प्रतिगामी और कठोर हैं।
मम्मा इनकी मोटी ताजी/ पापा है भाई गप्पूजी/ किसे पता है बोलो-बोलो/ कौन है अपने झप्पूजी?
ये दुनिया इंसानों को पढ़कर पहचानने की लाइब्रेरी है। यहां इंसान नाम की किताब फ्री में उपलब्ध है। लेकिन कुछ अपवाद भी हैं। जैसे दुनिया की बेहतरीन पुस्तकें सबकी पहुंच में नहीं वैसे ही बेहतरीन इंसान भी सबको मिल पाना सबके नसीब में नहीं।
आज विश्व पुस्तक दिवस है, हम जैसे पुस्तक प्रेमियों के लिए एक खास दिन। कहने वाले कहेंगे कि क्या किताब पढ़ने का भी कोई एक दिन हो सकता है? नहीं हो सकता है लेकिन जब अपने आसपास मोबाइल में डूबे और 10 से 30 सेकंड की फेसबुक-इंस्टा रील में डूबे युवाओं को देखती हूं तो मुझे लगता है कि किताबों की बात करना कई वजहों से जरूरी है
ताल और पहाड़ियों के शहर भोपाल की खूबसूरती यहां के पंछियों से भी है। बीते दिनों भोज वेटलैंड मे व्हाइट स्टार्क या श्वेत राजबक के भी दर्शन हो ही गए। भोपाल मे इसका दिखना दुर्लभ है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने देर रात बयान दर्ज करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की आलोचना की। कोर्ट ने कहा है कि ईडी सोने का अधिकार छीनकर किसी व्यक्ति का रात में बयान दर्ज नहीं कर सकती: इसके बाद राइट टू स्लीप को लेकर एक नई बहस शुरू हो गयी है।