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होबोसेक्‍सुअलिटी: महंगी सिटी में रहने की जुगाड़!

शहर की इस आर्थिक तंगी और एकाकी जीवनशैली के बीच, सोशल मीडिया और न्यूज प्लेटफॉर्म पर कुछ नए ट्रेंड तेजी से उभर रहे हैं। ऐसा ही एक रिश्ता है होबोसेक्सुअलिटी।

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मुख्यमंत्री को मुस्लिम टोपी पहनाने की कोशिश क्यों हुई?

धर्म और राजनीति को मिलाना खतरनाक है। इस्लाम भी कहता है कि किसी पर धर्म थोपना गुनाह है। नीतीश कुमार का टोपी न पहनना उनका व्यक्तिगत अधिकार है। इसे चुनावी हथियार बनाना न तो बिहार के मुसलमानों के हित में है और न ही लोकतंत्र के लिए सही संदेश है।

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सोचिए, माखन चोर नाम में क्‍या रखा है?

हमारे विनम्र अभिमत में भगवान श्रीकृष्ण के प्रादुर्भाव से लेकर उनके चरित्र और लीलाओं पर किसी अलग ढंग से विचार करना ना तो समीचीन कहा जाएगा और ना ही उचित।

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‘हार्ड डिस्क के बारे में बात करनी है? किसी मेल कलीग को फोन दीजिए’

‘महिलाएं क्या कर सकती हैं?’ से आगे हमें यह देखना होगा कि हम उनके बारे में अपनी सोच को कितना बदल सकते हैं और उनके साथ कितना समतापूर्ण व्यवहार कर सकते हैं।

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स्लीप डिवोर्स: अलग बिस्तर, रिश्ते बेहतर

पति-पत्नी का रोज एकसाथ सोना जहां पश्चिमी अवधारणा थी उसी तरह ‘स्लीप डिवोर्स’ या ‘स्लीप एलायंस’ भी पश्चिमी अवधारणा है।

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आखिर क्‍यों बदले बदले से ओम बिरला नजर आते हैं…

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला पिछले कार्यकाल में जिस तरह विपक्षी सांसदों पर सख्ती दिखाते थे, वैसा इस बार देखने को नहीं मिल रहा है। जहां पहले निष्कासन का डर था, वहीं अब केवल समझाने-बुझाने की कोशिश होती है।

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गर इतनी शिकायत है तो घर क्‍यों नहीं जाते…

समाजवादी पार्टी जैसी जनता-आधारित पार्टी को ऐसे नेताओं से नुकसान ही होता है, जो समाजवाद की विचारधारा से मेल नहीं खाते।

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नफरत की आठ कहानियों का भावार्थ क्‍या?

ये आठ नाम भले ही अलग-अलग शहरों से जुड़े हों, लेकिन इनकी कहानियां एक ही स्याह सच को बयां करती हैं, और वो हैं- लालच, धोखा और खून से सनी साजिशें।

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एक ही घूंट में दीवाने जहां तक पहुंचे…

हर ऊंचाई पर पहुंचकर महसूस होता है कि यह वह ऊंचाई नहीं है जिसकी तमन्ना रही है। तो फिर वहां कैसे पहुंचा जा सकता है?

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