मेरी बनाई झालर से झिलमिलाता था घर, कहां गए वे दिन?

अशफ़ाक की मधुर आवाज गूंजती, “आरती का समय हो गया है। सभी बहनों, भाइयों, माताओं, बच्चों से से निवेदन है कि वो गणपति/मां दुर्गा के पास आएं और आशीर्वाद पाएं।”

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आपका मौलिक अधिकार है सम्मान के साथ मरना

हर किसी को गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार है। मरने की प्रक्रिया में गरिमा अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का हिस्सा है। इस प्रकार, स्वतंत्र और सक्षम मानसिक स्थिति वाला व्यक्ति यह तय करने का हकदार है कि उसे चिकित्सा उपचार स्वीकार करना है या नहीं।

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एक दुकान जहां सुई से लेकर जहाज तक सब मिलता था

यह अद्भुत कस्बा पूरी तरह नर्मदा माई का बच्चा था। सारे तीज-त्यौहार, उत्सव, मेले, माई के बिना अधूरे रहते। निवासियों की दिनचर्या भी पूरी तरह माई पर निर्भर थी।

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मणि मोहन: खींंचे दृश्‍य और लिखे शब्‍द झरते हैं मन पर

मणि मोहन जी प्रकृति और परिवेश को जिन साधारण शब्दों से विशिष्‍ट भाव रूप में उकेर देते हैं उतनी ही दक्षता से कैमरे के जरिए फोटो पर भी उतार देते हैं।

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कर्नल साहब ने खिड़कियां पीटना शुरू की तो चीख-पुकार मच गई

आज के बाद ऐसा नहीं होना चाहिए, की धमकी के बाद बिना किसी मारपीट और खून-खराबे के उस धमकैया को जाने दिया। दादागिरी पाठशालाओं में बहुत सामान्य है, पर इसका असर कमजोर पक्ष पर बहुत गहरा पड़ता है। बच्चों द्वारा की गई इस तरह की शिकायतों पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए, और उसका समाधान निकालना चाहिए।

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… पर बीच में किसी की नाक नहीं आनी चाहिए

विवेकानंद का कहना है: “सभी मुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे हैं, एक क्षुद्र अणु से लेकर एक सितारे तक”। हम सब अपनी आज़ादी के साथ साथ उनकी आज़ादी की भी फिक्र करें जिन्हें हम ‘अन्य’ या ‘पराया’ कहते हैं, तभी मुक्ति का यह लक्ष्य हमारी पहुंच के भीतर रहेगा; वर्ना हर दिन यह दूर खिसकता चला जाएगा।

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अगर कोई पवित्र आत्मा यहां से गुजर रही है तो …

दीदी पहले ही घोषणा करती, “जिसको भी डर लग रहा है, अभी बाहर चला जाए। एक बार अनुष्ठान शुरू हुआ, फिर किसी को उठना, हँसना, डरना सख्त मना है। अगर आत्मा गुस्सा हो गई तो भगवान ही बचा पाएंगे।”

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