रचता है, वही तो बचता है

सृजनात्मकता अपने आपमें ही बड़ी कोमल वस्तु है। सही अर्थ में एक गहरे सृजनशील व्यक्ति के लिए आज का समय तरह तरह की अनिश्चितताओं और संदेहों से भरा हुआ है। फिर भी बात यही सच है कि जो रचेगा, आखिर में वही बचेगा।

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मालवा का स्‍वाद: बेसन गट्टे बनने के पहले बालभोग

जब भी घर पर मां बेसन गट्टे बनाती थी हम चौके चुल्हे के आसपास मंडराते रहते थे। बेसन में मिर्च-मसाला और मोइन डाल जब लकड़ी के पाटले पर दोनों हाथों से बेलनाकार बना कर उन्‍हे उबला जाता तो हमारे मुंह में स्‍वाद घुल जाता।

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हिट विकेट कमलनाथ, अब चलो, चलो…

इस पूरे घटनाक्रम का हासिल यह है कि कमलनाथ ‘हिट विकेट’ हो गए हैं। कुशल राजनेता खुद अपने ही खेमे में गोल कर बैठे। बीजेपी में उनका जाना रूक गया मतलब फिलहाल बीजेपी नेतृत्‍व ने उन्‍हें हाथोंहाथ नहीं लिया है। और, इधर कांग्रेस में वे संदिग्‍ध हो गए।

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एक दूजे के लिए: एक खूबसूरत मौसम की याद

‘एक दूजे के लिए’ उस ज़माने की फ़िल्म थी जब प्रेम होते ही प्रेमीजन बिस्तर पर कूद नहीं जाते थे। प्रेम का मतलब तब रोमांस ही होता था,’लव मेकिंग’ नहीं। कुछ झिझक बाक़ी थी। उदारीकरण आठ दस साल और दूर था।

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