वर्ल्ड स्माइल डे: जब मुस्कान को चेहरा मिला
जब-जब आप किसी को मुस्कराते देखें तो हार्वी बाल को जरूर याद करें जिन्होंने मुस्कान को एक नया चेहरा दिया।
जब-जब आप किसी को मुस्कराते देखें तो हार्वी बाल को जरूर याद करें जिन्होंने मुस्कान को एक नया चेहरा दिया।
मेरे सामने पर्चा रखा गया, चाय और नाश्ता पेश किया गया और पांच जोड़ी आंखें मुझ पर केंद्रित हो गईं। मैंने किसी वकील की तरह, दस्तावेज पढ़ा, जो किसी एग्जाम के पर्चे की तरह नजर आता था और साइक्लोस्टाइलड था। उन प्रश्नों के जवाब खोजने में मुझे भी 3-4 घंटे लगे।
ऐसी घड़ियों की मौत सबसे जरूरी थी जिनके बूते चला करती थी घरों की शांत और संतोषप्रद जिंदगी। संस्कृति-समाज-घर के ताने-बाने के टूटने के लिए बस एक घड़ी के लुप्त होने की जरूरत होती है।
डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ का व्यक्तित्व एक प्रेरणा है, जो हमें यह सिखाता है कि ज्ञान की खोज और उसके प्रचार-प्रसार में समर्पण और निष्ठा का महत्व कितना बड़ा होता है।
मेरी बैचैनी अब अवसाद की ओर बढ़ चली थी। लगता था, कि किसी तरह इस जिंदगी से छुटकारा मिले। मैंने पढ़ रखा था नीला थोथा (कॉपर-सलफेट) एक विष है। एक दिन मैंने एक मुट्ठी भर नीला थोथा चुरा लिया।
पापा जब शाम को ऑफिस से आते तब मैं किसी किताब को खोल कर बैठ जाता ताकि उन्हें सब बच्चे पढ़ते हुए मिलें और विश्वास कायम रहे कि, “all is well.” मां तो अपने कामों में व्यस्त रहतीं अतः उन्हें भी भनक नहीं लगी।
सुप्रीम कोर्ट ने एक बुजुर्ग दंपति की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने अपने कोमा में पड़े 30 साल के बेटे के लिए इच्छामृत्यु की मांग की थी, जो 11 साल पहले गिरने के बाद से बिस्तर पर है।
दोपहर के ठीक तीन बजे, 5 महिलाओं, 5 पुरुष, एक गाय, एक कुता, कोई एक दर्जन पौधों, और घरेलू सामान से लदा–फदा हमारा ट्रक-सह-बस रवाना हुआ। लेकिन मेरा उत्साह ठंडा पड़ चुका था।
मैंने पापा को वादा किया कि सामान की शिफ्टिंग के लिए ट्रक की व्यवस्था में करूंगा। अशोक-लेलैंड से भोपाल-ग्वालियर का रात का सफर मुझे बहुत रोमांचक लगा।
शून्यता दरअसल बासीपन और ताजगी के बीच बनी हुई एक लकीर है जिसका आकार अधिक बड़ा करने की जरूरत है। यह जगह अपने आप में बड़ी डायनामिक है। यह परमानंद का ठिकाना है।