मनरंग

दो बजे भी तिरपाल कस गई तो 6 बजे भोपाल पार

मैंने पापा को वादा किया कि सामान की शिफ्टिंग के लिए ट्रक की व्यवस्था में करूंगा। अशोक-लेलैंड से भोपाल-ग्वालियर का रात का सफर मुझे बहुत रोमांचक लगा।

दो बजे भी तिरपाल कस गई तो 6 बजे भोपाल पार जारी >

पसंदीदा ट्रक में सफर का ख्‍याल ही कितना रोमांचक!

मैंने पापा को वादा किया कि सामान की शिफ्टिंग के लिए ट्रक की व्यवस्था में करूंगा। अशोक-लेलैंड से भोपाल-ग्वालियर का रात का सफर मुझे बहुत रोमांचक लगा।

पसंदीदा ट्रक में सफर का ख्‍याल ही कितना रोमांचक! जारी >

जहां नर्मदा में नहाना सपड़ना था और शून्य था मिंडी

तब दाल पकती नहीं पर चुरति थी। क्रिकेट मैं रन बनाए नहीं पर हेड़े जाते। नदी तक जाने वाले रास्ते या तो डीह कहलाते या सपील।

जहां नर्मदा में नहाना सपड़ना था और शून्य था मिंडी जारी >

बाल सेट करने का मतलब होता था ‘अमिताभ कट’

मुझे अपने लड़के दोस्तों पर तो भरोसा था लेकिन एक दिन वह लड़की मेरे घर आई। मेरी खुशी तभी गम में बदल गई जब उसने मेरी मां के सामने राज खोल दिया।

बाल सेट करने का मतलब होता था ‘अमिताभ कट’ जारी >

तब ऐसी बोलचाल को मोहब्बत माना जाता था

रसायन प्रयोगशाला के तमाम उपकरण बड़े आकर्षित करते। एक दिन मैंने वहां से एक pipette उठाई और अपने पेंट में खोंस ली। मेरे एक सहपाठी ने सर को ये गुप्त जानकारी दे दी।

तब ऐसी बोलचाल को मोहब्बत माना जाता था जारी >

आई सा ‘मस्का-डोमेस्टिका’ इन माय रूम

तिवारी सर हमें हिंदी में अंग्रेजी पढ़ाते, स्थानीय भाषा और मुहावरों का प्रयोग करते। उनका पीरियड शांति और उल्लास के साथ गुजरता।

आई सा ‘मस्का-डोमेस्टिका’ इन माय रूम जारी >

फेंके हुए सिक्कों में से उनके हाथ 22 पैसे लगे…

मेरे लिए प्रथम पंक्ति में बैठ कर फिल्म देखने का यह पहला मौका था। जब ‘कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को’ गाना चालू हुआ तब सिक्कों की बरसात शुरू हुई।

फेंके हुए सिक्कों में से उनके हाथ 22 पैसे लगे… जारी >

… उसने जयघोष करते हुए परीक्षा हॉल में खर्रे बिखेर दिए

क्रिकेट मैच के आंखों देखा हाल सुनने का भूत लड़कों के सिर चढ़ कर बोलता था। हर काल-खंड के बाद जब मास्साब की अदला-बदली होती ट्रांजिस्टर की आवाज बढ़ जाती।

… उसने जयघोष करते हुए परीक्षा हॉल में खर्रे बिखेर दिए जारी >

नायकर साहब पहले ही राउंड में बाहर हुए तो बुरा लगा

जीवन बहुत सरल था। सुबह उठो और नर्मदा जी में नहा के आओ, तैरो और पल्ले पार तक तैर के आओ। नर्मदा जी में हर तरह की मछलियां और पानी के जीव शरण पाते, और लोगों का भोजन बनते।

नायकर साहब पहले ही राउंड में बाहर हुए तो बुरा लगा जारी >

मेरी बनाई झालर से झिलमिलाता था घर, कहां गए वे दिन?

अशफ़ाक की मधुर आवाज गूंजती, “आरती का समय हो गया है। सभी बहनों, भाइयों, माताओं, बच्चों से से निवेदन है कि वो गणपति/मां दुर्गा के पास आएं और आशीर्वाद पाएं।”

मेरी बनाई झालर से झिलमिलाता था घर, कहां गए वे दिन? जारी >