
बाल सेट करने का मतलब होता था ‘अमिताभ कट’
मुझे अपने लड़के दोस्तों पर तो भरोसा था लेकिन एक दिन वह लड़की मेरे घर आई। मेरी खुशी तभी गम में बदल गई जब उसने मेरी मां के सामने राज खोल दिया।
मुझे अपने लड़के दोस्तों पर तो भरोसा था लेकिन एक दिन वह लड़की मेरे घर आई। मेरी खुशी तभी गम में बदल गई जब उसने मेरी मां के सामने राज खोल दिया।
रसायन प्रयोगशाला के तमाम उपकरण बड़े आकर्षित करते। एक दिन मैंने वहां से एक pipette उठाई और अपने पेंट में खोंस ली। मेरे एक सहपाठी ने सर को ये गुप्त जानकारी दे दी।
तिवारी सर हमें हिंदी में अंग्रेजी पढ़ाते, स्थानीय भाषा और मुहावरों का प्रयोग करते। उनका पीरियड शांति और उल्लास के साथ गुजरता।
मेरे लिए प्रथम पंक्ति में बैठ कर फिल्म देखने का यह पहला मौका था। जब ‘कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को’ गाना चालू हुआ तब सिक्कों की बरसात शुरू हुई।
क्रिकेट मैच के आंखों देखा हाल सुनने का भूत लड़कों के सिर चढ़ कर बोलता था। हर काल-खंड के बाद जब मास्साब की अदला-बदली होती ट्रांजिस्टर की आवाज बढ़ जाती।
जीवन बहुत सरल था। सुबह उठो और नर्मदा जी में नहा के आओ, तैरो और पल्ले पार तक तैर के आओ। नर्मदा जी में हर तरह की मछलियां और पानी के जीव शरण पाते, और लोगों का भोजन बनते।
अशफ़ाक की मधुर आवाज गूंजती, “आरती का समय हो गया है। सभी बहनों, भाइयों, माताओं, बच्चों से से निवेदन है कि वो गणपति/मां दुर्गा के पास आएं और आशीर्वाद पाएं।”
लुंबिनी के प्राचीन पथों पर धीरे-धीरे कदम रखते हुए और मौन को अपनाते हुए, आप इस स्थल की आध्यात्मिक गहराई को अधिक सहजता से अनुभव कर सकेंगे।
यह अद्भुत कस्बा पूरी तरह नर्मदा माई का बच्चा था। सारे तीज-त्यौहार, उत्सव, मेले, माई के बिना अधूरे रहते। निवासियों की दिनचर्या भी पूरी तरह माई पर निर्भर थी।
यही वह जगह थी जहां मैंने बंगाली संस्कृति, उनके महान लेखकों और फिल्मकारों को जानना शुरू किया। गुरुदेव की लिखी ‘The Home coming’ पढके मैं रोया।