आई सा ‘मस्का-डोमेस्टिका’ इन माय रूम
तिवारी सर हमें हिंदी में अंग्रेजी पढ़ाते, स्थानीय भाषा और मुहावरों का प्रयोग करते। उनका पीरियड शांति और उल्लास के साथ गुजरता।
तिवारी सर हमें हिंदी में अंग्रेजी पढ़ाते, स्थानीय भाषा और मुहावरों का प्रयोग करते। उनका पीरियड शांति और उल्लास के साथ गुजरता।
मेरे लिए प्रथम पंक्ति में बैठ कर फिल्म देखने का यह पहला मौका था। जब ‘कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को’ गाना चालू हुआ तब सिक्कों की बरसात शुरू हुई।
क्रिकेट मैच के आंखों देखा हाल सुनने का भूत लड़कों के सिर चढ़ कर बोलता था। हर काल-खंड के बाद जब मास्साब की अदला-बदली होती ट्रांजिस्टर की आवाज बढ़ जाती।
जीवन बहुत सरल था। सुबह उठो और नर्मदा जी में नहा के आओ, तैरो और पल्ले पार तक तैर के आओ। नर्मदा जी में हर तरह की मछलियां और पानी के जीव शरण पाते, और लोगों का भोजन बनते।
अशफ़ाक की मधुर आवाज गूंजती, “आरती का समय हो गया है। सभी बहनों, भाइयों, माताओं, बच्चों से से निवेदन है कि वो गणपति/मां दुर्गा के पास आएं और आशीर्वाद पाएं।”
लुंबिनी के प्राचीन पथों पर धीरे-धीरे कदम रखते हुए और मौन को अपनाते हुए, आप इस स्थल की आध्यात्मिक गहराई को अधिक सहजता से अनुभव कर सकेंगे।
यह अद्भुत कस्बा पूरी तरह नर्मदा माई का बच्चा था। सारे तीज-त्यौहार, उत्सव, मेले, माई के बिना अधूरे रहते। निवासियों की दिनचर्या भी पूरी तरह माई पर निर्भर थी।
यही वह जगह थी जहां मैंने बंगाली संस्कृति, उनके महान लेखकों और फिल्मकारों को जानना शुरू किया। गुरुदेव की लिखी ‘The Home coming’ पढके मैं रोया।
आज के बाद ऐसा नहीं होना चाहिए, की धमकी के बाद बिना किसी मारपीट और खून-खराबे के उस धमकैया को जाने दिया। दादागिरी पाठशालाओं में बहुत सामान्य है, पर इसका असर कमजोर पक्ष पर बहुत गहरा पड़ता है। बच्चों द्वारा की गई इस तरह की शिकायतों पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए, और उसका समाधान निकालना चाहिए।
उसने हमारे सामने लगे झंडे के डंडे को पकड़कर, गोल-गोल घूमना शुरू किया। जब ये सिलसिला कुछ ज्यादा ही लंबा खिंचा तो ध्यान गया। इस समस्या का रहस्य अगले दिन खुला जब पापा ने अपने पार्सल की मांग की।