मैंने अशोक लेलैंड को आंखों से ओझल होने तक निहारा!
अचानक मां चिल्लाईं, “रोको, रोको…किसी ने मेरे कंधे पर बाहर से कुछ मारा है! या तो ऊपर से कुछ सामान गिरा है।” उस्ताद सहित सभी चौंक गए। ट्रक रोक दिया गया। छान-बीन हुई।
मैंने अशोक लेलैंड को आंखों से ओझल होने तक निहारा! जारी >