राजरंग

चौड़ी सड़कों और लंबी सुरंगों से आती तबाही

हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और केरल में तबाही का भयावह तांडव चल रहा है। यह सब जलवायु परिवर्तन का नतीजा है। लेकिन जो चीज इसे और विकराल बना रही है, वह है नफा-नुकसान सोचे बिना हो रहा ‘विकास’।

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आपका मौलिक अधिकार है सम्मान के साथ मरना

हर किसी को गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार है। मरने की प्रक्रिया में गरिमा अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का हिस्सा है। इस प्रकार, स्वतंत्र और सक्षम मानसिक स्थिति वाला व्यक्ति यह तय करने का हकदार है कि उसे चिकित्सा उपचार स्वीकार करना है या नहीं।

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… पर बीच में किसी की नाक नहीं आनी चाहिए

विवेकानंद का कहना है: “सभी मुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे हैं, एक क्षुद्र अणु से लेकर एक सितारे तक”। हम सब अपनी आज़ादी के साथ साथ उनकी आज़ादी की भी फिक्र करें जिन्हें हम ‘अन्य’ या ‘पराया’ कहते हैं, तभी मुक्ति का यह लक्ष्य हमारी पहुंच के भीतर रहेगा; वर्ना हर दिन यह दूर खिसकता चला जाएगा।

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ऐ मुहब्बत जिंदाबाद पर अंकुश…18 महीने से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं

पिछड़ी जाति की राजनीति के धुरंधर खिलाडी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विधानसभा में फिर अपना आपा खो बैठे। उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल की महिला विधायक रेखा देवी पर भड़कते हुए एक विवादास्पद टिप्पणी की।

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अरे महिला हो, कुछ जानती नहीं हो! कह रहे हैं चुपचाप सुनो

पिछड़ी जाति की राजनीति के धुरंधर खिलाडी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विधानसभा में फिर अपना आपा खो बैठे। उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल की महिला विधायक रेखा देवी पर भड़कते हुए एक विवादास्पद टिप्पणी की।

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जीवन के सबसे असली रंग की जगह का नकलीपन अखरता नहीं है आपको?

प्लास्टिक की घास और केमिकल पेंट की महक वाले नकली छोटे मैदानों में न खेल असली हो पाता है और न ही भावनाएं।

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रेलयात्रा की व्‍यथा कथा-अंतिम भाग: टिकट कैंसल का संदेश और बेटिकट हो जाने की धुकधुकी

इस उम्र में बिना टिकट पकड़े जाने का भय सर पर सवार था। गाड़ी अपनी गति पकड़ चुकी थी, सह-यात्री अपने बिस्तर बिछा कर लेट गए थे। मां–बेटी, अपने गुप्त श्वान के साथ, परदे खींच कर मौन थे। मैं एक मृत्यु–दंड मिले, मुजरिम की तरह, जल्लाद का इंतजार कर रहा था।

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रेलयात्रा आपबीती: कसम खाई, ऐसी ट्रेन में सफर नहीं करेंगे

आश्चर्य की बात थी कि सेकंड एसी कोच में जीआरपी का कोई जवान नहीं था और पास के अन्य कोच में भी नहीं। जिन पर यात्रियों की जानमाल की हिफाज़त की जिम्मेदारी रहती है।

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रेलयात्रा की व्‍यथा कथा-3: नाम वर्ल्‍ड क्‍लास लेकिन रखरखाव का क्‍लॉज ही नहीं

सुविधाओं के मामले में हम वर्ल्‍ड क्‍लास स्‍टेशनों के उपयोगकर्ता कहलाने लगे हैं लेकिन सुविधाएं दोयम दर्जे की ही हैं। कितना कष्‍टदायक है कि एक यात्री अपनी गाड़ी के इंतजार में घंटों प्‍लेटफार्म पर बैठा रहता है और उसे सटीक जानकारी भी नहीं मिल पाती है कि उसकी गाड़ी आखिर कब पहुंचेगी।

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रेलयात्रा आपबीती: सबसे ज्‍यादा यात्रियों के लिए सिर्फ दो जनरल बोगी!

सरकार को जनरल कोच में यात्रा करने वाले गरीब यात्रियों का भी सोचना चाहिए, क्योंकि सबसे ज्यादा असुरक्षित वहीं होते हैं।

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