कलारंग

हे मेरे मरण, आ और मुझसे बात कर

अहा! उसकी वे स्नेह भरी आँखें! आँखे भर क्यों? चेहरा, देह, देह का रोम-रोम जिस स्नेह से, जिस प्रेम से भरा है। खासकर तब, जब वह अपनी बेटी को गले लगा रहा है! पीछे ही वह दूत प्रतीक्षा में है जिसके साथ उसे उस पार चले जाना है।

हे मेरे मरण, आ और मुझसे बात कर जारी >

अभी तो खुश्क पैरों पे मुझे रिमझिम भी लिखनी है…

दो मिसरों में दो ख़याल बांधते हुए उनमें रब्त कायम करना यह शाइर की खूबी होती है। इस लिहाज से जनाब जसवंत राय शर्मा उर्फ़ नक्श लायलपुरी का यह शेर विराधाभासों में ख़ूबसूरती पैदा करता है।

अभी तो खुश्क पैरों पे मुझे रिमझिम भी लिखनी है… जारी >

तेरी गली से गुज़रता हूं इस तरह ज़ालिम…

इस शेर को अगर सिर्फ़ प्रेम के पहलू से देखा जाए तो एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को देखने की चाह में उसकी गली से इस तरह गुज़रने की बात करता है कि उसे ख़बर नहीं होती लेकिन वह उसे छू कर गुज़र जाता है।

तेरी गली से गुज़रता हूं इस तरह ज़ालिम… जारी >

लॉकडाउन के 6 साल: सत्‍यम श्रीवास्‍तव के मार्फत स्मृतियाँ हिसाब माँग रही हैं…

सत्‍यम श्रीवास्‍तव की किताब ‘स्मृतियाँ जब हिसाब माँगेंगी’ को पढ़ते हुए हम कोविड 19 से मिले दंश को दोबारा महसूस करते हैं। बल्कि यह कहना सतही होगा। उपयुक्‍त तो यह है कि इस पुस्‍तक को पढ़ते हुए हम उन बातों से रूबरू होते हैं जो उस वक्‍त बड़े समाज के गौर में नहीं आई।

लॉकडाउन के 6 साल: सत्‍यम श्रीवास्‍तव के मार्फत स्मृतियाँ हिसाब माँग रही हैं… जारी >

जब शब्द नहीं पहुंचते, चुप्पी पहुंचाने की कोशिश करता हूँ…

ग्राम्‍य जीवन के साथ रिश्‍तों और प्रेम की महीन गुंथन सुदर्शन व्‍यास की रचनाओं की विशिष्‍टता है। उनकी रचनाओं में शब्‍दों का आडंबर नहीं भाव की सादगी झलकती है।

जब शब्द नहीं पहुंचते, चुप्पी पहुंचाने की कोशिश करता हूँ… जारी >

भला एक शाइर किताबें जलाने की बात कैसे कर सकता है?

हमारी रवायत में हर अंधेरे को मिटाने के लिए एक दीप जलाने की सीख दी गई है। हम हर काविश से पहले चिराग़ रोशन करते हैं तो क्‍या क़िताबों को जलाया जाना चाहिए?

भला एक शाइर किताबें जलाने की बात कैसे कर सकता है? जारी >

प्यार के एहसास को ओढ़ना, सलीके से गुजरना

आख़िर तुम्हें गुजरना तो ज़िंदगी की तेज हवाओं के बीच से ही है! ये हवाओं के चिराग़ तुम्हारे पैरहन को जला सकते हैं, तुम्हें बेलिबास कर सकते हैं। तुम नशे में लड़खड़ाओगे ज़रूर और अपने आप को ख़त्म कर लोगे।

प्यार के एहसास को ओढ़ना, सलीके से गुजरना जारी >

घर के जोगी: मानो वे कह रहे थे, किसी ने हमारी सुध ली नहीं, किसी ने हमें समझा नहीं

शुरुआत में यह सोचा भी नहीं था कि एक शहर को खड़ा करने में इतने कलमकारों का हाथ हो सकता है। इस पुस्तक में अपने घर के रचनाकारों पर लिखने की कोशिश में यह भी पता चला कि मेरा शहर तो बहुत सौभाग्यशाली है।

घर के जोगी: मानो वे कह रहे थे, किसी ने हमारी सुध ली नहीं, किसी ने हमें समझा नहीं जारी >

डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’: भारतीय विद्या का अद्वितीय साधक

डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ का व्यक्तित्व एक प्रेरणा है, जो हमें यह सिखाता है कि ज्ञान की खोज और उसके प्रचार-प्रसार में समर्पण और निष्ठा का महत्व कितना बड़ा होता है।

डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’: भारतीय विद्या का अद्वितीय साधक जारी >

पुतरिया के सहारे बचपन की नगरी का फेरा

बचपन के किस्से मासूमियत की नर्म शॉल में लिपट कर सालों-साल कुनकुने बने रहते हैं। ऐसे ही ढेरों किस्से हम सबकी संदूक में अवश्य तह बने रखे होंगे तो इन तहों को खोलकर बिखेर लीजिए अपने होंठों की मुस्कान बनाकर।

पुतरिया के सहारे बचपन की नगरी का फेरा जारी >