कलारंग

घर के जोगी: मानो वे कह रहे थे, किसी ने हमारी सुध ली नहीं, किसी ने हमें समझा नहीं

शुरुआत में यह सोचा भी नहीं था कि एक शहर को खड़ा करने में इतने कलमकारों का हाथ हो सकता है। इस पुस्तक में अपने घर के रचनाकारों पर लिखने की कोशिश में यह भी पता चला कि मेरा शहर तो बहुत सौभाग्यशाली है।

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डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’: भारतीय विद्या का अद्वितीय साधक

डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ का व्यक्तित्व एक प्रेरणा है, जो हमें यह सिखाता है कि ज्ञान की खोज और उसके प्रचार-प्रसार में समर्पण और निष्ठा का महत्व कितना बड़ा होता है।

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पुतरिया के सहारे बचपन की नगरी का फेरा

बचपन के किस्से मासूमियत की नर्म शॉल में लिपट कर सालों-साल कुनकुने बने रहते हैं। ऐसे ही ढेरों किस्से हम सबकी संदूक में अवश्य तह बने रखे होंगे तो इन तहों को खोलकर बिखेर लीजिए अपने होंठों की मुस्कान बनाकर।

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अंतिम लीला: खिल उठेगी उम्मीद की दुनिया फिर एक दिन

नाटक में मौजूदा संवाद योजना एवं कोमल चेतना प्रमाण है कि चारों ओर तम के बादल होने पर भी अगर भीतर रौशनाई है तो तिमिर हावी न होगा। सध जाएगा काल चक्र और खिल उठेगी उम्मीद की दुनिया फिर एक दिन।

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जो किताबें पढ़कर बिगड़े वो जीवन में इंसान बन गये

आज विश्व पुस्तक दिवस है, हम जैसे पुस्तक प्रेमियों के लिए एक खास दिन। कहने वाले कहेंगे कि क्या किताब पढ़ने का भी कोई एक दिन हो सकता है? नहीं हो सकता है लेकिन जब अपने आसपास मोबाइल में डूबे और 10 से 30 सेकंड की फेसबुक-इंस्टा रील में डूबे युवाओं को देखती हूं तो मुझे लगता है कि किताबों की बात करना कई वजहों से जरूरी है

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राम को इस तरह भी समझिए…

राम मर्यादा पुरुष थे। ऐसा रहना उन्होंने जान-बूझकर और चेतन रूप से चुना था। बेशक नियम और कानून आदेश पालन के लिए एक कसौटी थे। लेकिन यह बाहरी दबाव निरर्थक हो जाता यदि उसके साथ-साथ अंदरूनी प्रेरणा भी न होती।

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कला का समाज: तब हम एक-दूसरे के सबसे करीब होते थे!

उसने अंतिम चाकू अपनी पत्नी के सीने को लक्ष्य कर पूरी ताकत से फेंक दिया …वहीं जहां दिल होता है। आंखों से पट्टी हटाकर देखा तो पाया निशाना चूक गया था वह क्या चीज होती है जो एक अभ्यस्त हाथ को अपने लक्ष्य से जरा भी विचलित होने से रोक लेती है।

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आपको यह फिल्‍म तो देखनी ही चाहिए

यह एक बहुत ही प्यार से बनायी गयी फिल्म है जो हमें प्यार, दोस्ती और मासूमियत का जश्न मनाने का मौका देती है। यह हमें हमारे ही बनाये गये ‘हम बनाम वे’ के दायरे से बाहर ले जाती है।

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