
ये रंग ए बनारस है…
बनारस, काशी, वाराणसी। जितने नाम, उतने उससे नाते। लाखों लोग यहां आते हैं और लौटते हैं तो अपना एक अंश यहीं छोड़ जाते हैं। साथ ले जाते हैं मन भर बनारस।
बनारस, काशी, वाराणसी। जितने नाम, उतने उससे नाते। लाखों लोग यहां आते हैं और लौटते हैं तो अपना एक अंश यहीं छोड़ जाते हैं। साथ ले जाते हैं मन भर बनारस।
हर बार आप आश्चर्य से सीखते हैं। जो ज्ञान अचानक प्रस्फुटित हो, वही सिखा जाता है। हर अचानक घटना एक आश्चर्य का होना है।
शायरी वो कमाल की है कि सीधे दिल में उतरती है। वैसे ही जैसे दिल से कही जाती है। उन्हें खूब सुना गया। जितना सुना गया उससे ज्यादा सुनाया गया। कभी अपने हाल बताने के लिए, कभी अपने दिल की कहानी जताने के लिए।
बचपन से ही इस खेल को बूझने की तमन्ना थी जिसके बोल हैं-गोल-गोल रानी,इत्ता-इत्ता पानी। आइए आज इस खेल की कहानी को समझते हैं। शरद पूर्णिमा की रात समझते हैं कि गोल का आखिर चक्कर क्या है!
मेरे जीवन अब बारी थी चलन के मुताबिक ‘गंगा नहाने’ की। लेकिन कौन सी गंगा में,कैसे नहाना है यह मुझे ही तय करना था। मैं एक खास काम करना चाहता था और यही मेरा गंगा स्नान था।
ऐसी घड़ियों की मौत सबसे जरूरी थी जिनके बूते चला करती थी घरों की शांत और संतोषप्रद जिंदगी। संस्कृति-समाज-घर के ताने-बाने के टूटने के लिए बस एक घड़ी के लुप्त होने की जरूरत होती है।
शून्यता दरअसल बासीपन और ताजगी के बीच बनी हुई एक लकीर है जिसका आकार अधिक बड़ा करने की जरूरत है। यह जगह अपने आप में बड़ी डायनामिक है। यह परमानंद का ठिकाना है।
शून्यता दरअसल बासीपन और ताजगी के बीच बनी हुई एक लकीर है जिसका आकार अधिक बड़ा करने की जरूरत है। यह जगह अपने आप में बड़ी डायनामिक है। यह परमानंद का ठिकाना है।
आज गीतकार शैलेंद्र की जयंती है। आज का दिन शैलेंद्र और रेणु की दोस्ती को याद करने का भी दिन है। शैलेंद्र के गीत को गुनगुनाते हुए अपने दोस्तों को याद करने का दिन।
जिसे माया कहा गया है उसे उसके द्वैत से दूरी हासिल कर ही अद्वैत के करीब जाकर फिर उसे जो द्वैत और अद्वैत से परे है, को जाना जा सकता है। अद्वैत से उतरकर फिर द्वैत की दुनिया में आया हुआ व्यक्ति ही सिद्ध है या साइंटिफिक भाषा में एलियन है।