सिर्फ सौ ग्राम!
हमारा वजन कभी भी स्थिर नहीं होता और वह थोड़ा-बहुत हमेशा बदलता रहता। शरीर में पानी के घटने-बढ़ने से वजन भी घटता-बढ़ता रहता है।
हमारा वजन कभी भी स्थिर नहीं होता और वह थोड़ा-बहुत हमेशा बदलता रहता। शरीर में पानी के घटने-बढ़ने से वजन भी घटता-बढ़ता रहता है।
सर्वज्ञानी हो जाते ही आसक्ति की व्यर्थता का रहस्य मालूम पड़ जाता है। आसक्ति विराट तक पहुंचने के ठीक पहले आ खड़ी होने वाली पहली और आखिरी दीवार है।
संपूर्णता का दूसरा नाम महान हो जाना है जारी >
कैसा हतभाग है कि उम्र बढ़ रही दिन प्रतिदिन, मगर अब तक कोई विपदा में हाथ बढ़ाने वाला न मिला, न फरिश्ता ही आया कोई। न हेठी दिखाता बाल सखा है, न बुद्धिमान का विवेक बढ़ाता मित्र।
नहीं चाहिए तुम्हारी शुभ कामनाएं, मेरा कोई मित्र नहीं… जारी >
सामाजिकता के फेर में हमारा संबंध प्रकृति की शक्ति से टूट गया। एक तरह से जैसे विराट से संबंध विच्छेद हो गया। आज यहां हम विराट से जुड़ी बातें करेंगे। यह क्रममाला तीन कड़ियों में है।
प्रकृति से जुड़े रहना यानी नेचुरल होना क्या है? जारी >
यह बात सरलादेवी चौधरानी ने अपनी आत्मकथा में लिखी है कि गांधी ने उनको ऐसा कहा। पर कहां पर कहा, यह मेरी कल्पना है। मेरा ऐसा कोई अजेंडा नहीं था कि गांधी की मूर्ति को ध्वस्त किया जाए या कि उस रिश्ते को एक सनसनीखेज रिश्ते के तौर पर पेश किया जाए।
आपकी हँसी इस देश की संपदा है, आप यूं ही हँसती रहें… जारी >
यह पुस्तक हमें सिखाती है कि प्रेम एक यात्रा है, गंतव्य नहीं। इसके लिए निरंतर प्रयास, धैर्य और खुलापन आवश्यक है।
प्रेम के कुछ नियम भी हैं… आपने अनुभव किए हैं? जारी >
अक्सर लगता है वह मदद मांग रहा है, 10-20 रुपए देने से क्या होगा और थोड़ी ज्यादा रकम उसके हवाले कर कसम खाता हूं कि अगली बार धोखा नहीं खाऊंगा।
गुरू पूर्णिमा के शुभ अवसर पर महर्षि वेद व्यास की परंपरा को आगे बढ़ाने वाले समस्त गुरूओं के सम्मान में समर्पित यह लेख।
जिन्होंने सिखाया चलते रहना ही जिंदगी है, रूकना यानी जड़ता जारी >
नेरुदा और उनके जैसे ही अन्य लोगों से हम सीख सकते हैं कि खुद को अभिव्यक्त करने का तरीका और सुनना किसी भी प्रतिरोध के मुख्य घटक हैं।
सोशल मीडिया के युग में नेरुदा से क्या सीख सकते हैं? जारी >