
एक दुकान जहां सुई से लेकर जहाज तक सब मिलता था
यह अद्भुत कस्बा पूरी तरह नर्मदा माई का बच्चा था। सारे तीज-त्यौहार, उत्सव, मेले, माई के बिना अधूरे रहते। निवासियों की दिनचर्या भी पूरी तरह माई पर निर्भर थी।
यह अद्भुत कस्बा पूरी तरह नर्मदा माई का बच्चा था। सारे तीज-त्यौहार, उत्सव, मेले, माई के बिना अधूरे रहते। निवासियों की दिनचर्या भी पूरी तरह माई पर निर्भर थी।
यही वह जगह थी जहां मैंने बंगाली संस्कृति, उनके महान लेखकों और फिल्मकारों को जानना शुरू किया। गुरुदेव की लिखी ‘The Home coming’ पढके मैं रोया।
मणि मोहन जी प्रकृति और परिवेश को जिन साधारण शब्दों से विशिष्ट भाव रूप में उकेर देते हैं उतनी ही दक्षता से कैमरे के जरिए फोटो पर भी उतार देते हैं।
फोटोग्राफर बंसीलाल परमार जी के पढ़ाने का तरीका जितना वैज्ञानिक था, फोटोग्राफी उतनी ही मानवीय दृष्टिकोण से पगी हुई।
आज के बाद ऐसा नहीं होना चाहिए, की धमकी के बाद बिना किसी मारपीट और खून-खराबे के उस धमकैया को जाने दिया। दादागिरी पाठशालाओं में बहुत सामान्य है, पर इसका असर कमजोर पक्ष पर बहुत गहरा पड़ता है। बच्चों द्वारा की गई इस तरह की शिकायतों पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए, और उसका समाधान निकालना चाहिए।
आज़ादी कोई एक बार मिलकर अनंतकाल तक चलने वाली चीज नहीं है। एक नागरिक के रूप में यह हमारी निरंतर यात्रा है।
जब हम कुछ सोचते ही नहीं तो जो जैसा घट रहा है वह स्वीकार है। वही मनमुताबिक है एक तरह से क्योंकि यहां मन नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस स्थिति को अ-मन रहकर जो पाया है। द्वैत की सुरंग में से होकर बाहर खुले में अब उन्मुक्त अद्वैत अपनी बाहें फैलाता है।
उसने हमारे सामने लगे झंडे के डंडे को पकड़कर, गोल-गोल घूमना शुरू किया। जब ये सिलसिला कुछ ज्यादा ही लंबा खिंचा तो ध्यान गया। इस समस्या का रहस्य अगले दिन खुला जब पापा ने अपने पार्सल की मांग की।
दीदी पहले ही घोषणा करती, “जिसको भी डर लग रहा है, अभी बाहर चला जाए। एक बार अनुष्ठान शुरू हुआ, फिर किसी को उठना, हँसना, डरना सख्त मना है। अगर आत्मा गुस्सा हो गई तो भगवान ही बचा पाएंगे।”
मैंने पूछ ही लिया, कि भैया कहां है, जिनकी शान में यह आयोजन हो रहा है? आंटी ने मुस्कुराते हुए, एक पर्दा हटाया और एक 3×2 की फ्रेम की हुई फोटो प्रकट हुई। चित्र में एक किशोरवय का चेहरा मुस्करा रहा था। आंटी ने परिचय कराया, “ये है विनायक… इसका ही birthday है।