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अपने भीतर ज्‍यादा से ज्‍यादा शून्‍यता पैदा करें …

शून्यता दरअसल बासीपन और ताजगी के बीच बनी हुई एक लकीर है जिसका आकार अधिक बड़ा करने की जरूरत है। यह जगह अपने आप में बड़ी डायनामिक है। यह परमानंद का ठिकाना है।

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… उसने जयघोष करते हुए परीक्षा हॉल में खर्रे बिखेर दिए

क्रिकेट मैच के आंखों देखा हाल सुनने का भूत लड़कों के सिर चढ़ कर बोलता था। हर काल-खंड के बाद जब मास्साब की अदला-बदली होती ट्रांजिस्टर की आवाज बढ़ जाती।

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शैलेंद्र: तेरी चाहत का दिलबर बयां क्या करूं?

आज गीतकार शैलेंद्र की जयंती है। आज का दिन शैलेंद्र और रेणु की दोस्‍ती को याद करने का भी दिन है। शैलेंद्र के गीत को गुनगुनाते हुए अपने दोस्‍तों को याद करने का दिन।

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नायकर साहब पहले ही राउंड में बाहर हुए तो बुरा लगा

जीवन बहुत सरल था। सुबह उठो और नर्मदा जी में नहा के आओ, तैरो और पल्ले पार तक तैर के आओ। नर्मदा जी में हर तरह की मछलियां और पानी के जीव शरण पाते, और लोगों का भोजन बनते।

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मेरी बनाई झालर से झिलमिलाता था घर, कहां गए वे दिन?

अशफ़ाक की मधुर आवाज गूंजती, “आरती का समय हो गया है। सभी बहनों, भाइयों, माताओं, बच्चों से से निवेदन है कि वो गणपति/मां दुर्गा के पास आएं और आशीर्वाद पाएं।”

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जानने के लिए दूरी जरूरी है …

जिसे माया कहा गया है उसे उसके द्वैत से दूरी हासिल कर ही अद्वैत के करीब जाकर फिर उसे जो द्वैत और अद्वैत से परे है, को जाना जा सकता है। अद्वैत से उतरकर फिर द्वैत की दुनिया में आया हुआ व्यक्ति ही सिद्ध है या साइंटिफिक भाषा में एलियन है।

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एक दुकान जहां सुई से लेकर जहाज तक सब मिलता था

यह अद्भुत कस्बा पूरी तरह नर्मदा माई का बच्चा था। सारे तीज-त्यौहार, उत्सव, मेले, माई के बिना अधूरे रहते। निवासियों की दिनचर्या भी पूरी तरह माई पर निर्भर थी।

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इतनी मुहब्बत! मुझे ऐसा प्रेम कहीं ना मिला

यही वह जगह थी जहां मैंने बंगाली संस्कृति, उनके महान लेखकों और फिल्मकारों को जानना शुरू किया। गुरुदेव की लिखी ‘The Home coming’ पढके मैं रोया।

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मणि मोहन: खींंचे दृश्‍य और लिखे शब्‍द झरते हैं मन पर

मणि मोहन जी प्रकृति और परिवेश को जिन साधारण शब्दों से विशिष्‍ट भाव रूप में उकेर देते हैं उतनी ही दक्षता से कैमरे के जरिए फोटो पर भी उतार देते हैं।

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बंसीलाल परमार: जिनकी नजरों से हम दुनिया पहचानते हैं…

फोटोग्राफर बंसीलाल परमार जी के पढ़ाने का तरीका जितना वैज्ञानिक था, फोटोग्राफी उतनी ही मानवीय दृष्टिकोण से पगी हुई।

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