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लॉकडाउन के 6 साल: सत्‍यम श्रीवास्‍तव के मार्फत स्मृतियाँ हिसाब माँग रही हैं…

सत्‍यम श्रीवास्‍तव की किताब ‘स्मृतियाँ जब हिसाब माँगेंगी’ को पढ़ते हुए हम कोविड 19 से मिले दंश को दोबारा महसूस करते हैं। बल्कि यह कहना सतही होगा। उपयुक्‍त तो यह है कि इस पुस्‍तक को पढ़ते हुए हम उन बातों से रूबरू होते हैं जो उस वक्‍त बड़े समाज के गौर में नहीं आई।

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बच गया संविधान? और क्‍या-क्‍या बच गया…

संविधान भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की आकांक्षाओं का अंतिम उत्पाद है और उपनिवेशीकरण के नाम पर संविधान की वैधता को नकारना स्वतंत्रता सेनानियों और भारत को स्वतंत्रता दिलाने वाले लोगों के बलिदान को नकारने का प्रयास होता है।

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मोदी ‘रंग’ के आगे कितना टिकेगा भंग विपक्ष?

मोदी सिर्फ अपने मुद्दे और रणनीति ही तय नही करते बल्कि वे विपक्ष के मुद्दों को भी अपना हथियार बना लेते हैं। वे जैसे चाहे विपक्ष को उनकी पिच पर खेलने के लिए मजबूर कर देते हैं और यदि विपक्ष उसकी पिच पर लाने की कोशिश करता है तो उसे अपनी बनाकर मैदान को बिखेर देते है।

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