मंडी से कंगना रनौत… और पोल खुलती गई  

सुप्रिया श्रीनेत, मृणाल पांडे और कंगना रनौत ने जो टिप्पणियां कीं उसमें उन्हें तत्काल कुछ भी गलत नहीं लगा। टोके जाने पर जरूर किसी ने समझदारी दिखाते हुए माफी मांग ली तो कोई अपनी बात पर अड़ा रहा लेकिन यहां असल चुनौती यह है कि ऐसी सोच को किस प्रकार समाप्त किया जाए?

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मैं डरती हूं, क्‍या आपको डर लगता है?

“हां, मुझे आज भी डर लगता है। अल सुबह जब मैं वॉक या दौड़ने के लिए या फिर साइकिल चलाने के लिए अकेले निकलती हूं तो मुझे डर लगता है। इस डर के कारण ही मैं कोशिश करती हूं कि हूडी वाले जैकेट पहनूं जिससे मेरे स्त्री या पुरुष होने को लेकर भ्रम की स्थिति बन जाए।” इसकी वजह एकदम साफ है। बचपन में पैदल स्कूल जाते समय ही मुझे लोगों की निगाहों को पढ़ना आ गया था और शायद हर महिला को यह हुनर विरासत में मिलता है।

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