शुक्र है, आंगन का यह नीम बचा हुआ है अब तक

आपाधानी से भरे जीवन के बीच एक दिन में एक पेड़ से मिलने गया था। चित्र में जो पेड़ दिख रहा है उससे मेरा परिचय तकरीबन 25 साल पुराना है। सन् 2000 से पहले की बात है जब मैंने पहली बार इस पेड़ को देखा था। उस समय मेरे पास कैमरा भी नहीं रहता था…

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तब तुम्‍हें मारा था, मुझे दर्द अब तक होता है

निदा फाजली साहब ने क्‍या खूब कहा है, धूप में निकलो, घटाओं में नहा कर देखो, जिंदगी क्‍या है, किताबों हटा कर देखा। मुझे लगता है कि बतौर शिक्षक किसी की सफलता को सिर्फ उसकी कक्षा के परिणाम से नहीं देखना चाहिए। किसी भी शिक्षक का आकलन उसके पूरे काम से करना चाहिए…

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नया मुहावरा ‘राजनीति का आडवाणी हो जाना’

मुहावरे और लोकोक्तियां अनुभव का वे सार हैं जो हमारे जीवन में लाइट हाउस की तरह काम करते हैं। ऐसी ही सुभाषितानि भी होते हैं। जिन्‍हें बार-बार पढ़ा और याद किया जाना चाहिए ताकि जीवन में ठोकरों से बचा जा सके। इनदिनों ऐसा ही एक नया मुहावरा चल पड़ा है, राजनीति का आडवाणी हो जाना…

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प्रासंगिक बने रहने की जुगत राजनीति के दो किरदार

22 जनवरी को जब मीडिया में राम प्रतिमा प्राण प्रतिष्‍ठा की खबरें छाई हुई थी और हर तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र तथा मध्‍यप्रदेश में एक नया ‘राजनीति कांड’ हुआ। यह राजनीति कांड उन दो नेताओं ने रचा जो पिछले डेढ़ दशक से मध्‍य प्रदेश की राजनीति के कर्ताधर्ता बने हुए हैं…

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भगवान राम पर उमा भारती की सलाह कितनी जरूरी? 

समय के साथ मध्‍य प्रदेश की पूर्व मुख्‍यमंत्री उमा भारती के पद और जिम्‍मेदारियां बदलती रही लेकिन जो नहीं बदली वह है उनकी आक्रामक छवि और बोल। वे बोल जिनके कारण वे हमेशा विवादों से घिरी रही। इसबार भी जब राममंदिर को लेकर बीजेपी भविष्‍य की अपनी राजनीतिक…

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