covid 19

लॉकडाउन के 6 साल: सत्‍यम श्रीवास्‍तव के मार्फत स्मृतियाँ हिसाब माँग रही हैं…

सत्‍यम श्रीवास्‍तव की किताब ‘स्मृतियाँ जब हिसाब माँगेंगी’ को पढ़ते हुए हम कोविड 19 से मिले दंश को दोबारा महसूस करते हैं। बल्कि यह कहना सतही होगा। उपयुक्‍त तो यह है कि इस पुस्‍तक को पढ़ते हुए हम उन बातों से रूबरू होते हैं जो उस वक्‍त बड़े समाज के गौर में नहीं आई।

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रामदेव का जादुई इलाज और पिछड़ता आयुर्वेद

आयुर्वेद की बुनियादी विचारधाराओं का व्यापक ज्ञान, वैज्ञानिक साक्ष्य की कमी के कारण वैज्ञानिक रूप से स्वीकार्य नहीं है। एलोपैथिक और आयुर्वेदिक दवाओं के दृष्टिकोण में बहुत बड़ा अंतर है।

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कुछ लोग मिले फरिश्‍तों जैसे…वो जिनके हाथ में रहता है परचम-ए-इंसां

जीना, असल में सरल आचरण और मनोभाव का समुच्च्यन है। हम विज्ञान, विचारणा, वितर्क और चिंतन के जंगल में मानवीयता को लगभग भूल चुके हैं, ऐसे में कुछ लोग मिले जो फरिश्‍तों जैसे हैं।

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