इश्‍क मेरा: जहां सफर ही मंजिल है

जब कभी मैं उदास होती हूं तो वह मुझे आवाज देती है-मानो कह रही हो, ‘चलो दोस्त लॉन्ग ड्राइव पर चलते हैं।’ मुझे उससे और उसे मुझसे गहरा इश्क है। उसके पहिये मेरे लिए पंख हैं। मैं उनके दम पर उड़ान भरती हूं।

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मानसिकता कंट्रोल करता है शब्द जनरेशन गैप

‘फिलामेंट एलिमेंट :हंसध्वनि’, हमारे नए कॉलम का नाम है, ऐसा इसलिए कि आज का दौर न्यूक्लियस फैमिली का है, जिसमें दो पीढ़ियों के बीच संवाद और मिलन का अभाव है और इन के बीच मौजूद तीसरी पीढ़ी उपेक्षा महसूस करती हुई अकेलेपन का शिकार है। कोशिश होगी कि ‘फिलामेंट एलिमेंट: हंसध्वनि’ कॉलम में विषयों का तात्विक विवेचन हो।

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कभी सही गिन नहींं पाएंगे इस मंदिर के स्‍तंभ

आज आपको अपने संग सैर करवाती हूं मुरैना जिले के सिहोनिया कस्बे में स्थित ‘ककनमठ मंदिर’ की, जो भुरभुरी रेतीली मिट्टी वाले खेतों के बीच खड़ा इतराता है। यह मंदिर अपनी अचरज भरी विशिष्‍टता के कारण देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

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गली-मोहल्‍ले में यूं मिल जाता है इनोवेशन

सरकारी सर्वे के दौरान महिलाओं से बात करने के लिए घर आंगन में कुछ देर बैठना हो जाता था। ऐसे ही सर्वे में एकबार सुवासरा के मीणा मोहल्ले में जाना यादगार अनुभव बन गया।

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जिंदगी क्‍या है? किताब पढ़ कर जाना

कभी लगता कि ऐसा होता उसके एक किरदार का नाम मेरा होता। मैं कभी उसके संग समंदर की लहरों में छलांगें लगाता, कभी गोद में उसकी सर रख, सो ही जाता। क्या भरोसा वो सो जाती कभी मेरी तहों में जैसे खो जाते है दो जिस्म चादर की सिलवटों में। क्या जाने, क्या होता। वो मेरी होती, मैं उसका होता।

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