आपातकाल, एक खत और सरकारी नौकरी पर संकट

प्रख्‍यात हिंदी भाषाविद, लेखक और रतलाम महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. जयकुमार जलज का बीते दिनों देहांत हुआ। उनके कृतित्‍व को नमन करते हुए उनके ही द्वारा बताई गई घटना यहां प्रस्‍तुत है। आपातकाल के दौरान की यह घटना वास्‍तव में मूल्‍यों के प्रति आस्‍था और जीवन का सटीक उदाहरण है।

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पहला प्यार और मैं: साथ भी और पास भी

मेरा पहला प्यार मुझे जब मिला तब मैं शायद साढ़े पांच साल की रही होंगी। मैं बोलती गयी, वो मुस्कुराता रहा और फिर जब मैंने अपने आसपास देखा तो सभी मुझे तारीफ भरी नजरों से देख रहे थे।

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इश्‍क मेरा: जहां सफर ही मंजिल है

जब कभी मैं उदास होती हूं तो वह मुझे आवाज देती है-मानो कह रही हो, ‘चलो दोस्त लॉन्ग ड्राइव पर चलते हैं।’ मुझे उससे और उसे मुझसे गहरा इश्क है। उसके पहिये मेरे लिए पंख हैं। मैं उनके दम पर उड़ान भरती हूं।

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मानसिकता कंट्रोल करता है शब्द जनरेशन गैप

‘फिलामेंट एलिमेंट :हंसध्वनि’, हमारे नए कॉलम का नाम है, ऐसा इसलिए कि आज का दौर न्यूक्लियस फैमिली का है, जिसमें दो पीढ़ियों के बीच संवाद और मिलन का अभाव है और इन के बीच मौजूद तीसरी पीढ़ी उपेक्षा महसूस करती हुई अकेलेपन का शिकार है। कोशिश होगी कि ‘फिलामेंट एलिमेंट: हंसध्वनि’ कॉलम में विषयों का तात्विक विवेचन हो।

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दिमाग में चिप: सबसे बड़ा बिजनेस मैन सिर्फ परोपकार करेगा?

एलॉन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक ने एक व्यक्ति के दिमाग में ‘ब्रेन-रीडिंग’ डिवाइस प्रत्यारोपित की है। शारीरिक रूप से असमर्थ लोग,लकवाग्रस्त लोग इस चिप की मदद से सिर्फ सोच कर ही अपने कम्प्यूटर का इस्तेमाल कर सकेंगे। यह तो है इस चिप का घोषित मकसद। पर हकीकत क्या है?

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