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तुम खिलते रहना ताकि मैं मुस्कुराती रहूँ…

आज इतने साल बाद मिलने पर, उससे जी भर मिल लेने की इच्छा पर काबू पाना मुश्किल लग रहा था। ऐसा लगा कि जैसे कोई सपना जाग गया हो। स्मृतियाँ जैसे सामने टहलने लगीं…

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वो चेहरा किताबी रहा सामने, खूबसूरत मुलाकात हुई  

पद्मश्री बशीर बद्र को देखकर इस बात का इत्‍मीनान हुआ कि आज भी हिंदुस्तान में उर्दू की एक अजीम हस्ती मौजूद है। हालांकि मुलाकात एक तरफा ही थी। डॉ. साहब अपनी ही दुनिया में खोए हुए थे। 

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अब तो चुप्‍पी तोड़िए अपूर्वानंद और कुमुद शर्मा जी

यह बात सामान्य और नजर अंदाज करने योग्य नहीं है की CUET के टॉपर्स और JRF टॉपर्स को दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय सिरे से नजरअंदाज कर दे। सवाल यही है कि क्‍या पीएचडी चयन परीक्षा में सच में गड़बड़ी हुई है?

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‘मिशन जंजीर फ्री’ के पहले कदम की प्रतीक्षा

अब समय की मांग है कि हम मनुष्यों के असंयमित व्यवहार को बदलने की शुरूआत आवारा,हिंसक और शिकारी स्वभाव के कुत्तों और जंजीरों में कैद ट्रेनिंग के बाद भी इनडिसिप्लिन्ड,अनुशासनहीन कुत्तों से करें। पक्षियों से शुरूआत हम कर ही चुके हैं।

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शरतचंद्र की सलाह, अनुभव लिखना, व्‍यर्थ की कल्‍पना के चक्‍कर में न पड़ना

मैदान मैं लड़नेवाले सिपाही को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए जिस प्रकार नित्य की कवायद बहुत आवश्यक होती है, उसी प्रकार लेखक के लिए उपरोक्त अभ्यास भी नितांत आवश्यक है।

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आखिर मर्जी है आपकी, क्‍योंकि…

हमें निर्बाध गति भी चाहिए और निष्‍कलंक श्‍वास भी। फिर समाधान कहा हैं? हमारी चिंताओं के ये दोनों छोर मध्‍यप्रदेश में दिखाई दे रहे हैं।

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चाय को चाय ही रहने दो …

उन्होंने पूछा, ‘आप कौन सी चाय पियेंगी?’ मेरे लिए यह स्थिति और यह प्रश्न दोनों नए थे। मैं दो-तीन तरह की चाय के बारे में जानती थी लेकिन चाय की इतनी किस्में…तौबा तौबा। मैंने किसी तरह बस इतना कहा- ‘मैं सिंपल चाय लूंगी सर।’ मेजबान मुस्कराये, मानो मेरी कमअक्ली पर मन ही मन हंसे।

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रचता है, वही तो बचता है

सृजनात्मकता अपने आपमें ही बड़ी कोमल वस्तु है। सही अर्थ में एक गहरे सृजनशील व्यक्ति के लिए आज का समय तरह तरह की अनिश्चितताओं और संदेहों से भरा हुआ है। फिर भी बात यही सच है कि जो रचेगा, आखिर में वही बचेगा।

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