भारतेंदु का कहा 140 सालों बाद भी खरा
आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाने वाले लेखक भारतेंदु हरिशचंद्र ने अपने देहांत से पहले नवंबर 1884 में बलिया के ददरी मेले में आर्य देशोपकारिणी सभा में एक भाषण दिया था। यह नवोदिता हरिश्चंद्र चंद्रिका में दिसंबर 1884 के अंक में छपा था। इस भाषण का विषय था-भारत वर्षोन्नति कैसे हो सकती है…
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