मंडी से कंगना रनौत… और पोल खुलती गई  

सुप्रिया श्रीनेत, मृणाल पांडे और कंगना रनौत ने जो टिप्पणियां कीं उसमें उन्हें तत्काल कुछ भी गलत नहीं लगा। टोके जाने पर जरूर किसी ने समझदारी दिखाते हुए माफी मांग ली तो कोई अपनी बात पर अड़ा रहा लेकिन यहां असल चुनौती यह है कि ऐसी सोच को किस प्रकार समाप्त किया जाए?

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बच्‍चों को बचा न पाए तो किस काम का पॉक्‍सो?

भारत में बच्चों के यौन उत्पीड़न से संबंधित जटिल और संवेदनशील मुद्दों को ध्यान में रखते हुए 14 नवंबर 2012 को पॉक्सो अधिनियम लागू किया गया था। लेकिन लाख टके का सवाल है कि क्या यह बच्चों के यौन शोषण को रोकने में सफल हुआ? जवाब होगा, नहीं।

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अनंत अंबानी का वनतारा: तारीफ करें या …

वनतारा की बात करते हुए अनंत अंबानी संवेदना से भरे नजर आते हैं। उनकी आंखों में वन्‍य प्राणियों के लिए कुछ कर जाने के उपजी चमक दिखती है। सभी चाहते हैं कि शीर्ष पर बैठे लोगों में यह संवेदनशीलता बनी रहे। अनंत जैसे युवा मन से भावपूर्ण नहीं होते तो संभव है रोटी मांगने पर वे भी ब्रेड क्‍यों नहीं खा लेते सवाल करते।

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DU में PhD विवाद: क्‍या बोलना भी जुर्म है और पारदर्शिता मांगना गुनाह?

पीएचडी की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठे हैं तो उनका उत्‍तर भी आना चाहिए। आखिर, विद्यार्थी अपने शिक्षकों और विश्‍वविद्यालय प्रबंधन से ही उम्‍मीद नहीं करेंगे तो किससे करेंगे? क्‍या प्रवेश के लिए, चयन के लिए, नौकरी पाने के लिए विद्यार्थियों को मोर्चा निकालना होगा, हड़ताल करनी होगी, विधिक प्रक्रिया अपनानी होगी? और यदि वे यही करेंगे तो पढ़ेंगे कब?

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अब तो चुप्‍पी तोड़िए अपूर्वानंद और कुमुद शर्मा जी

यह बात सामान्य और नजर अंदाज करने योग्य नहीं है की CUET के टॉपर्स और JRF टॉपर्स को दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय सिरे से नजरअंदाज कर दे। सवाल यही है कि क्‍या पीएचडी चयन परीक्षा में सच में गड़बड़ी हुई है?

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हिट विकेट कमलनाथ, अब चलो, चलो…

इस पूरे घटनाक्रम का हासिल यह है कि कमलनाथ ‘हिट विकेट’ हो गए हैं। कुशल राजनेता खुद अपने ही खेमे में गोल कर बैठे। बीजेपी में उनका जाना रूक गया मतलब फिलहाल बीजेपी नेतृत्‍व ने उन्‍हें हाथोंहाथ नहीं लिया है। और, इधर कांग्रेस में वे संदिग्‍ध हो गए।

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दिमाग में चिप: सबसे बड़ा बिजनेस मैन सिर्फ परोपकार करेगा?

एलॉन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक ने एक व्यक्ति के दिमाग में ‘ब्रेन-रीडिंग’ डिवाइस प्रत्यारोपित की है। शारीरिक रूप से असमर्थ लोग,लकवाग्रस्त लोग इस चिप की मदद से सिर्फ सोच कर ही अपने कम्प्यूटर का इस्तेमाल कर सकेंगे। यह तो है इस चिप का घोषित मकसद। पर हकीकत क्या है?

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मोदी ‘रंग’ के आगे कितना टिकेगा भंग विपक्ष?

मोदी सिर्फ अपने मुद्दे और रणनीति ही तय नही करते बल्कि वे विपक्ष के मुद्दों को भी अपना हथियार बना लेते हैं। वे जैसे चाहे विपक्ष को उनकी पिच पर खेलने के लिए मजबूर कर देते हैं और यदि विपक्ष उसकी पिच पर लाने की कोशिश करता है तो उसे अपनी बनाकर मैदान को बिखेर देते है।

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नया मुहावरा ‘राजनीति का आडवाणी हो जाना’

मुहावरे और लोकोक्तियां अनुभव का वे सार हैं जो हमारे जीवन में लाइट हाउस की तरह काम करते हैं। ऐसी ही सुभाषितानि भी होते हैं। जिन्‍हें बार-बार पढ़ा और याद किया जाना चाहिए ताकि जीवन में ठोकरों से बचा जा सके। इनदिनों ऐसा ही एक नया मुहावरा चल पड़ा है, राजनीति का आडवाणी हो जाना…

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प्रासंगिक बने रहने की जुगत राजनीति के दो किरदार

22 जनवरी को जब मीडिया में राम प्रतिमा प्राण प्रतिष्‍ठा की खबरें छाई हुई थी और हर तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र तथा मध्‍यप्रदेश में एक नया ‘राजनीति कांड’ हुआ। यह राजनीति कांड उन दो नेताओं ने रचा जो पिछले डेढ़ दशक से मध्‍य प्रदेश की राजनीति के कर्ताधर्ता बने हुए हैं…

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