art and culture

मटके तो मटके हैं

लकड़ी द्वारा घुमाया जाने वाला चाक आजकल बिजली से चलने लगा है। गधे पर मिट्टी लाने का काम ट्रैक्टर पर निर्भर हो गया है। बेचने के लिये फेरी लगाने के लिए मोटरसाइकिल का प्रयोग होने लगा है।

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ये रंग हैं, और ये है इनकी रंगत

होली और रंग एक दूसरे के पर्याय हैं। रंग उल्‍लास के प्रतीक भी हैं और रंग हमारी भावनाओं की अभिव्‍यक्ति का माध्‍यम भी। हर रंग कुछ कहता है, क्‍योंकि हम हर रंग में एक अलग रंगत पाते हैं। बल्कि यूं कहिए, हर रंग की हर समय एक अलग रंगत होती है। यह रंगत हमारे मन के रंग पर निर्भर करती है। जानिए, प्रख्‍यात कवि एकांत श्रीवास्‍तव की कलम से जानिए कि हर रंग क्‍या कहता है।

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चोबा, चंदन, अरगजा वीथिन में रच्यौ है गुलाल

होली मूलतः रंगों का त्यौहार है। वृंदावन के श्रीधाम गोदा विहार मंदिर स्थित ब्रज संस्कृति शोध संस्थान में कई ऐसी दुर्लभ पाण्डुलिपि भी संग्रहित हैं जिनमें होली के अवसर पर गाये जाने वाले विभिन्न ब्रजभाषा पद संकलित हैंI

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फैंड्री: सिर्फ सिनेमा नहीं, समाज का आईना

‘फैंड्री’ फिल्म ने एक बार फिर याद दिलाया कि जिंदगी अमर चित्रकथा जैसी बिल्कुल नहीं है। शहरों में पले बढ़े युवाओं को ‘फैंड्री’ के गांव को देखकर झटका सा लगता है। वह फिल्मों में नजर आने वाला कोई यूटोपियन गांव नहीं है।

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अहसास होता है, सच में हम शुतुरमुर्ग बने रहे हैं

सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार शांतिलाल जैन के हाल ही में प्रकाशित व्यंग्य संग्रह ‘… कि आप शुतुरमुर्ग बने रहें’ का हर व्यंग्य अपने आप में एक सामान्य विषय को बहुत रोचकता के साथ प्रस्तुत करने में सफल दिखाई पड़ता है।

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कबिरा सब जग निर्धना

धन स्वाभाविक रूप से इंसान को दरियादिल नहीं बनाता। यह रिश्ते बनाने का समय और अवसर दे सकता है, पर उन्हें बनाये रखने की स्पेस, इसके लिए आवश्यक समानुभूति और स्नेह नहीं खरीद सकता। अक्सर धन और उससे जुडी भागम-भाग लोगों को क्लांत, पलायनवादी, आत्मकेंद्रित और एकाकी बना डालता है।

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शरतचंद्र की सलाह, अनुभव लिखना, व्‍यर्थ की कल्‍पना के चक्‍कर में न पड़ना

मैदान मैं लड़नेवाले सिपाही को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए जिस प्रकार नित्य की कवायद बहुत आवश्यक होती है, उसी प्रकार लेखक के लिए उपरोक्त अभ्यास भी नितांत आवश्यक है।

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रचता है, वही तो बचता है

सृजनात्मकता अपने आपमें ही बड़ी कोमल वस्तु है। सही अर्थ में एक गहरे सृजनशील व्यक्ति के लिए आज का समय तरह तरह की अनिश्चितताओं और संदेहों से भरा हुआ है। फिर भी बात यही सच है कि जो रचेगा, आखिर में वही बचेगा।

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