आखिर मर्जी है आपकी, क्योंकि…
हमें निर्बाध गति भी चाहिए और निष्कलंक श्वास भी। फिर समाधान कहा हैं? हमारी चिंताओं के ये दोनों छोर मध्यप्रदेश में दिखाई दे रहे हैं।
हमें निर्बाध गति भी चाहिए और निष्कलंक श्वास भी। फिर समाधान कहा हैं? हमारी चिंताओं के ये दोनों छोर मध्यप्रदेश में दिखाई दे रहे हैं।
सच में अजीब ही होती हैं हम बचपन से लेकर बुढ़ापे को लांघती लड़कियां! हम जिसे भी अपनाते हैं, वो हमारे दिलों में आजीवन हमारा होकर ही रहता है।
अमीन सयानी ने परंपरा से हट कर काम किया। भाइयो और बहनों सुनने के आदी समाज में बहनों और भाइयों कह कर महिलाओं को सम्मान देने की शुरुआत की।
जब भी घर पर मां बेसन गट्टे बनाती थी हम चौके चुल्हे के आसपास मंडराते रहते थे। बेसन में मिर्च-मसाला और मोइन डाल जब लकड़ी के पाटले पर दोनों हाथों से बेलनाकार बना कर उन्हे उबला जाता तो हमारे मुंह में स्वाद घुल जाता।
प्रख्यात हिंदी भाषाविद, लेखक और रतलाम महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. जयकुमार जलज का बीते दिनों देहांत हुआ। उनके कृतित्व को नमन करते हुए उनके ही द्वारा बताई गई घटना यहां प्रस्तुत है। आपातकाल के दौरान की यह घटना वास्तव में मूल्यों के प्रति आस्था और जीवन का सटीक उदाहरण है।
मेरा पहला प्यार मुझे जब मिला तब मैं शायद साढ़े पांच साल की रही होंगी। मैं बोलती गयी, वो मुस्कुराता रहा और फिर जब मैंने अपने आसपास देखा तो सभी मुझे तारीफ भरी नजरों से देख रहे थे।
मालवा के परिचय का एक चेहरा यहां की बोली की मिठास और आहार के स्वाद का है। मालवा का अपना खास स्वाद है। पड़ोसी राज्य गुजरात और राजस्थान का सिग्नेचर फूड भी मालवा में आ कर यहां का स्वाद पा कर इठला गया है।
सरकारी सर्वे के दौरान महिलाओं से बात करने के लिए घर आंगन में कुछ देर बैठना हो जाता था। ऐसे ही सर्वे में एकबार सुवासरा के मीणा मोहल्ले में जाना यादगार अनुभव बन गया।
आज से कई दशकों पहले मैनपुरी में साल में चार-चार मेले लगा करते थे ठाकुर जैत सिंह जी और ठाकुर माधव सिंह जी (माधौ) की जमींदारी में। जैतसिंह जी की बिटिया और माधव सिंह जी की बहना हमारी अम्मा मतलब दादी मां थी। समय बीतते के संग लोग भी वैकुंठ चले गए। पीछे जो रह गया वे हैं …
आपाधानी से भरे जीवन के बीच एक दिन में एक पेड़ से मिलने गया था। चित्र में जो पेड़ दिख रहा है उससे मेरा परिचय तकरीबन 25 साल पुराना है। सन् 2000 से पहले की बात है जब मैंने पहली बार इस पेड़ को देखा था। उस समय मेरे पास कैमरा भी नहीं रहता था…