तब तुम्हें मारा था, मुझे दर्द अब तक होता है
निदा फाजली साहब ने क्या खूब कहा है, धूप में निकलो, घटाओं में नहा कर देखो, जिंदगी क्या है, किताबों हटा कर देखा। मुझे लगता है कि बतौर शिक्षक किसी की सफलता को सिर्फ उसकी कक्षा के परिणाम से नहीं देखना चाहिए। किसी भी शिक्षक का आकलन उसके पूरे काम से करना चाहिए…