आखिर मर्जी है आपकी, क्योंकि…
हमें निर्बाध गति भी चाहिए और निष्कलंक श्वास भी। फिर समाधान कहा हैं? हमारी चिंताओं के ये दोनों छोर मध्यप्रदेश में दिखाई दे रहे हैं।
आखिर मर्जी है आपकी, क्योंकि… जारी >
हमें निर्बाध गति भी चाहिए और निष्कलंक श्वास भी। फिर समाधान कहा हैं? हमारी चिंताओं के ये दोनों छोर मध्यप्रदेश में दिखाई दे रहे हैं।
आखिर मर्जी है आपकी, क्योंकि… जारी >
सच में अजीब ही होती हैं हम बचपन से लेकर बुढ़ापे को लांघती लड़कियां! हम जिसे भी अपनाते हैं, वो हमारे दिलों में आजीवन हमारा होकर ही रहता है।
उन्होंने पूछा, ‘आप कौन सी चाय पियेंगी?’ मेरे लिए यह स्थिति और यह प्रश्न दोनों नए थे। मैं दो-तीन तरह की चाय के बारे में जानती थी लेकिन चाय की इतनी किस्में…तौबा तौबा। मैंने किसी तरह बस इतना कहा- ‘मैं सिंपल चाय लूंगी सर।’ मेजबान मुस्कराये, मानो मेरी कमअक्ली पर मन ही मन हंसे।
चाय को चाय ही रहने दो … जारी >
अमीन सयानी ने परंपरा से हट कर काम किया। भाइयो और बहनों सुनने के आदी समाज में बहनों और भाइयों कह कर महिलाओं को सम्मान देने की शुरुआत की।
Ameen Sayani Death: ख्वाबों सी आवाज, जादू सा असर जारी >
जब भी घर पर मां बेसन गट्टे बनाती थी हम चौके चुल्हे के आसपास मंडराते रहते थे। बेसन में मिर्च-मसाला और मोइन डाल जब लकड़ी के पाटले पर दोनों हाथों से बेलनाकार बना कर उन्हे उबला जाता तो हमारे मुंह में स्वाद घुल जाता।
मालवा का स्वाद: बेसन गट्टे बनने के पहले बालभोग जारी >
सभी फोटो: गिरीश शर्मा आज समोसे की कथा जानिये। समोसा जिसे कोई तिकोना कहता है, कोई चमोचा भी। तिकाने आकारा का यह दक्षिण एशिया का एक लोकप्रिय व्यंजन है। यह कचौरी और आलूबड़े की बिरादरी का समान रूप से चर्चित
जब कभी मैं उदास होती हूं तो वह मुझे आवाज देती है-मानो कह रही हो, ‘चलो दोस्त लॉन्ग ड्राइव पर चलते हैं।’ मुझे उससे और उसे मुझसे गहरा इश्क है। उसके पहिये मेरे लिए पंख हैं। मैं उनके दम पर उड़ान भरती हूं।
इश्क मेरा: जहां सफर ही मंजिल है जारी >
‘फिलामेंट एलिमेंट :हंसध्वनि’, हमारे नए कॉलम का नाम है, ऐसा इसलिए कि आज का दौर न्यूक्लियस फैमिली का है, जिसमें दो पीढ़ियों के बीच संवाद और मिलन का अभाव है और इन के बीच मौजूद तीसरी पीढ़ी उपेक्षा महसूस करती हुई अकेलेपन का शिकार है। कोशिश होगी कि ‘फिलामेंट एलिमेंट: हंसध्वनि’ कॉलम में विषयों का तात्विक विवेचन हो।
मानसिकता कंट्रोल करता है शब्द जनरेशन गैप जारी >
छुटकी चहकी,फिर से बोली/ बसंत आता है कब? कब?/ दीदी ने भी की ठिठोली,फूल खिलते हैं तब…
बाल कविता: बसंत आता है कब? जारी >
आज आपको अपने संग सैर करवाती हूं मुरैना जिले के सिहोनिया कस्बे में स्थित ‘ककनमठ मंदिर’ की, जो भुरभुरी रेतीली मिट्टी वाले खेतों के बीच खड़ा इतराता है। यह मंदिर अपनी अचरज भरी विशिष्टता के कारण देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
कभी सही गिन नहींं पाएंगे इस मंदिर के स्तंभ जारी >