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DU में PhD विवाद: क्या बोलना भी जुर्म है और पारदर्शिता मांगना गुनाह?
पीएचडी की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठे हैं तो उनका उत्तर भी आना चाहिए। आखिर, विद्यार्थी अपने शिक्षकों और विश्वविद्यालय प्रबंधन से ही उम्मीद नहीं करेंगे तो किससे करेंगे? क्या प्रवेश के लिए, चयन के लिए, नौकरी पाने के लिए विद्यार्थियों को मोर्चा निकालना होगा, हड़ताल करनी होगी, विधिक प्रक्रिया अपनानी होगी? और यदि वे यही करेंगे तो पढ़ेंगे कब?