धरती की धड़कनें सुनने के लिए, बीज होना होता है… हवा में बहना होता है

गुरुडोंगमर की चुप्पी और कन्याकुमारी की गर्जना- दोनों एक ही संगीत के स्वर। जीवन इस संगीत में बहता है, हर कण में, हर तरंग में। पत्थर रेत बनते हैं, सागर शीतलता बुनता है, और यह लय हमें अपने भीतर समेट लेती है।

धरती की धड़कनें सुनने के लिए, बीज होना होता है… हवा में बहना होता है जारी >